वैज्ञानिक श्रीराम शंकर अभ्यंकर की जीवनी | Biography of Shriram Shankar Abhyankar in Hindi

वैज्ञानिक श्रीराम शंकर अभ्यंकर की जीवनी | BIOGRAPHY OF SHRIRAM SHANKAR ABHYANKAR IN HINDI

श्रीराम शंकर अभ्यंकर एक प्रसिद्ध भारतीय अमेरीकि वैज्ञानिक थे। वे गणित, कंम्प्यूटर विज्ञान और औघोगिक इंजिनियरिंग के परम ज्ञाता थे। वैज्ञानिक श्रीराम शंकर अभ्यंकर ने बीजगणित, ज्यामिति के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया।

उन्होंने गणित का एक सिद्धांत दिया जो अभ्यंकर के परिमित समूह सिद्धांत के ‘अभ्यंकर अनुमान’ के लिए जाना जाता है। अपने जीवन के अंतिम काल में वे अमेरिका के पर्ड्यू विश्वविद्यालय(Purdue University) में  प्रोफेसर थे।

डॉ अभ्यंकर इंडियन जर्नल ऑफ प्योर एंड एप्लाइड मैथमेटिक्सा के संपादकिया बोर्ड के सदस्या भी रहे। आईए इस महान गणितज्ञ श्रीराम शंकर अभ्यंकर की जीवनी (Biography of Shriram Shankar Abhyankar in hindi ) संक्षेप में जानते हैं।

वैज्ञानिक श्रीराम शंकर अभ्यंकर की जीवनी | BIOGRAPHY OF SHRIRAM SHANKAR ABHYANKAR IN HINDI
वैज्ञानिक श्रीराम शंकर अभ्यंकर की जीवनी | BIOGRAPHY OF SHRIRAM SHANKAR ABHYANKAR IN HINDI

वैज्ञानिक श्रीराम शंकर अभ्यंकर की जीवनी – Biography of Shriram Shankar Abhyankar in Hindi

जन्म व प्रारंभिक जीवन

महान वैज्ञानिक श्रीराम शंकर अभ्यंकर का जन्म 22 जुलाई 1930 ब्रिटिश भारत में वर्तमान मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन में हुआ था। वे अपने छः भाई बहन में दूसरे स्थान पर थे। बचपन में उनके दोस्त उन्हें राम कह कर बुलाते थे।

श्रीराम शंकर अभ्यंकर की माता का नाम उमा तम्हंकर तथा पिता का नाम शंकर केशव अभ्यंकर था। उनके पिता उज्जैन के एक कालेज में गणित के प्रोफेसर थे।

उनके जन्म के दो साल के बाद उनके पिता का स्थानतारण ग्वालियर हो गया। फलतः वे अपने पिता के साथ ग्वालियर में रहने लगे।

बचपन से ही था गणित से प्यार 

इस प्रकार श्रीराम शंकर अभ्यंकर की लालन-पालन और प्रारंभिक शिक्षा गवालीयर में ही हुई। श्रीराम शंकर अभ्यंकर बचपन से पढ़ने लिखने में बहुत तेज थे। गणित के प्रति बचपन से ही उनके अंदर गहरी रुचि थी।

घंटों बैठकर वे गणित के सवालों में डूबे रहते और नए नए चीजों को सीखते रहते। कहते हैं की गणित के प्रति उनकी लगाव को देख कर उनके गणितज्ञ पिता कभी-कभी सोच में पड़ जाते थे।

श्रीराम शंकर अभ्यंकर की शिक्षा

अपनी हाईस्कूल की पढ़ाई ग्वालियर से पूरी करने के बाद वे मुंबई आ गए। याहन उन्होंने अपना स्नातक सन 1951 में मुंबई विश्वाविध्यालय के रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से पूरी की।

इस दौरान वे दामोदर धर्मानंद कोसंबी से बहुत प्रभावित हुए। जिन्होंने गणित के प्रति रुचि को देखते हुए अभ्यंकर को गणित में करियर बनाने की सलाह दी।

उसके बाद वे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी अमेरिका चले गए। जहाँ से उन्होंने अपना मास्टर डिग्री प्राप्त की। उसके बाद वे उच्च शिक्षा(पीएचडी) के लिए शोधकार्य करने लगे।

इस प्रकार हार्वर्ड विश्वाविध्यालय में प्रो ऑस्कर ज़ारिस्की(Oscar Zariski )के दिशानिर्देशन में शोध करते हुए उन्होंने 1955 में पी एच डी की उपाधि प्राप्त की।

डॉक्टरेट के लिए उनके द्वारा लिखित थीसिस का शीर्षक ‘Local Uniformization on Algebraic Surfaces over Modular Ground Fields’ था।

कैरियर

वैज्ञानिक श्रीराम शंकर अभ्यंकर ने अपने कैरियर की शुरुआत अमेरिका के कोलंबिया विश्वाविघ्यालय में गणित के Instructor के रुप में किया। प्रो श्रीराम शंकर अभ्यंकर बीजगणित और बीजगणितीय ज्यामिति में विशेषज्ञ थे।

उसके बाद उन्होंने जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय में गणित के एसोसिएट प्रोफेसर बने। बाद में वे Purdue विश्व विध्यालय में कंम्प्यूटर विज्ञान और औघोगिक इंजिनियरिंग संकाय के पूर्ण प्रोफेसर बने।

आगे चलकर 1967 में उन्हें गणित् के मार्शल विशिष्ट प्रोफेसर नामित किया गया।

पारिवारिक जीवन

श्रीराम शंकर अभ्यंकर की शादी अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में 5 जून 1958 को हुई। अभ्यंक की पत्नी का नाम यवोन क्राफ्ट थी। उन्हें दो बचे थे, उनके वेटे का नाम हरी और बेटी का नाम काशी थी। उनके बच्चे भी बड़े होकर पी एच डी धारक हैं।

कार्य व योगदान

उन्होंने कम्प्यूटेशनल और एल्गोरिथम बीजगणितीय ज्यामिति के क्षेत्र विशेष शोध किया। उन्हें अभ्यंकर के परिमित समूह सिद्धांत के अनुमान के लिए जाना गया। उन्होंने अपने शोध में कम्यूटेटिव बीजगणित, स्थानीय बीजगणित, मूल्यांकन सिद्धांत विशेष रूप में शामिल रहा।

इसके अलावा उन्होंने क्वांटम इलेक्ट्रोडायनामिक्स, सर्किट सिद्धांत, कॉम्बिनेटरिक्स, कंप्यूटर एडेड डिजाइन और रोबोटिक्स के कार्यों का सिद्धांत आदि क्षेत्रों में भी काम किया।  

उपलब्धि :

उन्होंने गणित के क्षेत्र में व्यापक उपलब्धि हासिल की। डॉ अभ्यंकर की प्रसिद्धि विशेष रूप से परिमित समूह सिद्धांत के अनुमान के लिए है। उन्होंने 200 के करीब शोध पत्र लिखे जो विश्व के  प्रमुख पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।

डॉ श्रीराम शंकर अभ्यंकर ने शोध पत्र के अलावा अनेकों  पुस्तक और शोध मोनोग्राफ की रचना की।

सम्मान व पूरस्कार

प्रसिद्ध गणितज्ञ श्रीराम शंकर अभ्यंकर को गणित खासकर बीजगणित और बीजगणितीय जयामिती में अहम योगदान रही। इसके लिए डॉ श्रीराम शंकर अभ्यंकर को अनेकों संस्थानों द्वारा सम्मान व पुरस्कार से प्रदान कीये गए।

कई संस्थानों ने डॉ अभ्यंकर को अपना फ़ेलो(सदस्य) बनाकर सम्मानित किया।

  • वर्ष 1973 – अमेरिका के पडर्यू विश्वाविघ्यालय द्वारा हर्बर्ट न्यूबी मैककॉय पुरस्कार’
  • वर्ष 1978 – अमेरिका के गणितीय संघ द्वारा चौवेनेट पुरस्कार(Chauvenet Prize) और लेस्टर फोर्ड पुरस्कार(Lester Ford Prize)
  • वर्ष 987 – डॉ अभ्यंकर को भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी का फेलो(सदस्य) चुना गया।
  • वर्ष 1988 – भारतीय विज्ञान अकादमी, बेंगलुरु के फ़ेलो
  • वर्ष 1998 – फ्रांस के यूनिवर्सिटी ऑफ एंगर्स द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि
  • वर्ष 2013 – अमेरिकन मैथमैटिकल सोसाइटी के फ़ेलो – http://www.ams.org/cgi-bin/fellows/fellows.cgi#s

इसके अलावा उन्हें स्पेन के वैलियाडोलिड विश्वविद्यालय और ब्राजील के ब्रासीलिया विश्वविद्यालय द्वारा सम्मान पदक प्राप्त हुआ। साथ ही उन्हें विज्ञान संस्थान, मुंबई द्वारा Vidnyan Sanstha Ratna की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।

निधन

प्रोफेसर श्रीराम शंकर अभ्यंकर का निधन हृदय गति रुकने से 2 नवंबर 2012 को 82 साल की उम्र में हुआ। 02 नवंबर 2012 को शुक्रवार के दिन जब वे अपने आवास में गणित पर कुछ काम कर रहे थे।

तभी उनको दिल का दौरा पड़ा, उन्हें तत्काल अमेरिका के Lafayette में सेंट एलिजाबेथ अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। वैज्ञानिक श्रीराम शंकर अभ्यंकर अंतिम समय तक कंम्प्यूटर विज्ञान और औघोगिक इंजिनियरिंग के प्रोफेसर रहे।


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