गणितज्ञ राजचन्द्र बोस की जीवनी | Raj Chandra Bose ki Jivani

गणितज्ञ राजचन्द्र बोस की जीवनी | Raj Chandra Bose ki Jivani

Facebook
WhatsApp
Telegram

Raj Chandra Bose ki Jivani – राज चन्द्र बोस महान भारतीय-अमेरिकी गणितज्ञ एवं सांख्यिकीविद थे। भारतीय गणितज्ञ और सांख्यिकीविद् राजचन्द्र बोस प्रयोगों के डिजाइन और बहु-विषयक विश्लेषण पर विशेष शोध कार्य के लिए जाने जाते हैं।

उन्हें विश्व में ‘डिजाइन सिद्धान्त’ तथा ‘थिअरी ऑफ एरर करेक्टिंग कोड्स‘ के लिए भी जाना जाता है। अपने इस सिद्धांत की खोज के कारण वे पूरे विश्व में आर सी बोस के नाम से प्रसिद्ध हो गए। गणित जगत में उनका नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है।

गणितज्ञ राजचन्द्र बोस की जीवनी | Raj Chandra Bose ki Jivani
गणितज्ञ राज चन्द्र बोस की जीवनी

अपने अमूल्य योगदान से भारत का नाम रौशन किया साथ ही उन्होनें विदेशों में भी अपनी विद्वता से अलग पहचान बनाने में कामयाव हुए। बाद में उन्होंने अमेरिका का नागरिकता ले ली और जीवन प्रयत्न वहीं पर अध्यापन व शोध करने लगे।

आइए इस महान वैज्ञानिक RAJ CHANDRA BOSE KI JIVANI उनके कैरीयर, उपलब्धि, योगदान, समान व पुरस्कार के बारें में सविस्तर जानते हैं।

गणितज्ञ राज चन्द्र बोस की जीवनी – Raj Chandra Bose ki Jivani

महान भारतीय-अमेरिकी गणितज्ञ व सांख्यिकीविद राज चन्द्र बोस को जन्म 19 जून 1901 को मध्यप्रदेश के होशंगाबाद में हुआ था। उनके पिता का नाम प्रोतोप चन्द्र था। उनके पिता एक चिकित्सक थे और हरियाणा के रोहतक में चिकित्सा का काम करते थे।

राजचन्द्र बोस अपने माता पिता के सबसे बड़े संतान थे। घर में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था। लेकिन 1918 में उनकी माता जी की इन्फ्लूएंजा महामारी की चपेट में आने से मृत्यु हो गई।

उनके पिताजी की अगले वर्ष एक स्ट्रोक के कारण दुनियाँ से चल बसे। इस प्रकार उनके माता पिता की आकस्मिक निधन से राजचन्द्र बोस के ऊपर दुख का पहाड़ टूट पड़ा। अभी वे अपना कॉलेज की पढ़ाई भी नहीं पूरी कर पाये थे।

READ  अनिल काकोडकर की जीवनी | Dr Anil kakodkar information in Hindi

उनका बचपन कष्ट में व्यतीत होने लगा, क्योंकि घर की सारी जिम्मेदारी राज चन्द्र बोस पर आ गई। लेकिन उन्होंने हिम्मत से काम लिया और बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपना खर्चा निकालने लगे।

साथ ही अपने पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान केंद्रित करने लगे। बचपन से ही उन्हें गणित से बहुत लगाव था। अपनी प्रारंभी शिक्षा रोहतक से प्राप्त करने के बाद, उनका उच्च शिक्षा के लिए उनका नामांकन दिल्ली विश्वविद्यालय में हुआ।

अपनी कड़ी मेहनत और लगन के वल पर उन्होंने दिल्ली के हिंदू कालेज से 1925 में स्नातकोतर की डिग्री प्राप्त की। उसके बाद वे डी. लिट. की उपाधियाँ भी प्राप्त कीये।

करियर व उपलब्धि (Raj Chandra Bose achievements)

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वे कोलकाता आ गए। यहाँ पर उनकी मुलाकात कलकत्ता के ज्योमेट्री प्रोफेसर श्यामदास मुखोपाध्याय से हुई। प्रोफेसर श्यामदास मुखोपाध्याय के संरक्षण में उन्होंने अपने शोध को आगे बढ़ाया।

कोलकाता के आशुतोष कॉलेज से उन्होंने अपने कैरीयर की शुरुआत की। वे सन 1930 से 1934 तक इस कॉलेज के गणित बिभाग के प्रोफेसर रहे। इस दौरन वे अनवरत अपने अध्यापन के साथ शोधकार्य में भी लगे रहते।

उनके शोधपत्र देशी-विदेशी पत्र-पत्रिकाओं में छपने लगे। एक दिन महान सांख्यिकी वैज्ञानिक महालनोबीस की नजर एक जर्नल में छपी उनके शोध-पत्र पर गई। वैज्ञानिक महालनोबीस ने आर सी बोस के शोध-पत्र को जब पढ़ा तब वे बहुत प्रभावित हुए।

READ  वैज्ञानिक वी.एस. हुजूरबाजार | V. S. Huzurbazar Biography in Hindi

उन्होंने आर सी बोस को कोलकाता स्थित ‘इंडियन स्टेटिस्टिकल इन्स्टी्ट्यूट’ में काम करने के लिए आमंत्रित किया। इस प्रकार वैज्ञानिक आर सी बोस कोलकाता के ‘इंडियन स्टेटिस्टिकल इन्स्टी्ट्यूट से जुड़े गए।   

उसके बाद उन्होंने सन 1938 से 1945 तक कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। बाद में वे सन 1945 से लेकर 1949 तक इस विश्वविद्यालय के सांख्यिकी विभाग के प्रमुख के पद को भी सुशोभित किया।

अमेरिकी नागरिकता

सन 1949 में अमेरिका चले गए वे कुछ दिनों तक कोलंबिया विश्वविद्यालय में अतिथि प्रोफेसर के रूप में भी अपना सेवा दिए। बाद में वे अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय में सांख्यिकी के प्रोफेसर के रूप में नियुक्त हुए।

वे सन 1966 से 1971 तक कैनन के प्रोफेसर भी रहे। वे अमेरिकी नागरिकता लेकर वहीं वस गए। वर्तमान में उनकी गिनती विश्व के महान भारतीय-अमेरिकी गणितज्ञ में की जाती है।

योगदान

राजचंद्र बोस ‘डिजाइन सिद्धान्त‘ तथा ‘थिअरी ऑफ एरर करेक्टिंग कोड्स‘ के लिए पूरे विश्व में जाने जाते हैं। राजचंद्र बोस ने एस.एस. श्रीखंडे और ई.टी. पार्कर के साथ काम करते हुए लियोनहार्ड यूलर द्वारा 1782 के प्रसिद्ध अनुमान को गलत सिद्ध करार दिया था।

इसके बाद उनका नाम न्यूयार्क के समाचार-पत्रों सहित दुनियाँ के कई पत्र-पत्रिका में सुर्खियों में रहा। जादुई-वर्ग वह वर्ग है जिसमें सभी पंक्तियों और स्तंभों के वर्गों की संख्याओं का योगफल समान होता है।

बोस ने इसके लिए एक नई प्रणाली का आविष्कार किया। उनके इस सिद्धांत को मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की लिंकन प्रयोगशाला में अपनाया गया।

READ  Dr APJ Abdul kalam ka jeevan parichay | डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम जीवन परिचय

उन्होनें “ग्रेसिको-लैटिन स्क्वायर” के लिये लैटिन व ग्रीक भाषा के स्थान पर देवनागरी भाषा को कोड रूप में अपनाने का सुझाव दिया। इन्होंने मोर्स कोड की जगह नया कोड का आविष्कार किया जो  ‘बोस-रे-चैधरी’ कोड के नाम से जाना गया।

सम्मान व पुरस्कार

गणित के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें कई देशों और संस्थानों द्वारा अनेकों सम्मान व पुरस्कार प्राप्त हुए। सन 1947 वे भारतीय विज्ञान परिषद के सांख्यिकी विभाग के अध्यक्ष चुने गए।

सन 1974 में भारतीय सांख्यिकी संस्थान द्वारा उन्हें डी.एससी. की मानद उपाधि से सम्मानित किया। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित शिक्षण संस्थान ‘शांति निकेतन’ द्वारा उन्हें डी लिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।

सन 1976 में उन्हें यू. एस. अकेडमी ऑफ साइंस का फैलो(सदस्य) मनोनीत किया गया। साथ ही उन्हें अमेरिका का सर्वोच्च वैज्ञानिक सम्मान “नेशनल मेडल ऑफ साइंस” से अलंकृत किया गया।

राज चंद्र बोस का निधन

राज चंद्र बोस का 86 वर्ष की आयु में अमेरिका के Colorado में 31 अक्टूबर 1987 को निधन हो गया। उनकी दो बेटियाँ हैं और दोनों अमेरिका में ही रहती हैं।

भारत के महान गणितज्ञ राज चन्द्र बोस की जीवनी (RAJ CHANDRA BOSE BIOGRAPHY IN HINDI ) आपको जरूर अच्छी लगी होगी। अपने सुझाव से अवगत करायें।


बाहरी कड़ियाँ (External links)


संबंधित खोजें (भारत व विश्व के वैज्ञानिक )

मेघनाथ साहा नारेन भाई पटेल होमी जहांगीर भाभा वेंजमिन पियरी पॉल
अवतार सिंह पेंटल आनद मोहन चक्रवर्ती सी वी रमन एमएस स्वामीनाथन
Amit

Amit

मैं अमित कुमार, “Hindi info world” वेबसाइट के सह-संस्थापक और लेखक हूँ। मैं एक स्नातकोत्तर हूँ. मुझे बहुमूल्य जानकारी लिखना और साझा करना पसंद है। आपका हमारी वेबसाइट https://nikhilbharat.com पर स्वागत है।

Leave a Comment

Trending Posts