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Patliputra History In Hindi – कुम्हरार पटना (Kumhrar Patna )जहाँ मिले हैं प्राचीन शहर पटलीपुत्र के अवशेष
वैसे तो वर्तमान पटना शहर के निर्माण का श्रेय शेरशाह सूरी को जाता है जिन्होंने मुगल बादशाह हुमायूँ को हराकर इस नगर को बसाया। लेकिन प्राचीन काल में यह पाटलीपुत्र के नाम से जाना जाता था।
पटना के कुम्हरार में प्राचीन पाटलीपुत्र के अवशेष पाये गये हैं। यह स्थान पटना स्टेशन से महज 6 की मी की दूरी पर स्थित है। कहते हैं की इसी स्थान पार प्राचीन एतिहासिक स्थल पाटलीपुत्र मौजूद था।
पुरातात्विदों ने खुदाई के पश्चात प्राचीन पाटलिपुत्र शहर के पुरातात्विक अवशेष ढूंढ निकले हैं। यह अवशेष आज भी मौर्य तथा गुप्त वंश के राजाओं के समृद्ध साम्राज्य की कहानी कहने के लिए पर्याप्त है।
मौर्य कालीन विशाल हॉल के अवशेष – Patliputra History In Hindi
मौर्य कालीन प्राचीर के अवशेष, कुम्भरार के अलावा लोहानीपुर, संदलपुर बहादुरपुर और बुलंदीबाग़ में भी खुदाई के दौरान मिले हैं। खुदाई के दौरान उस काल में निर्मित 80 स्तंभ वाले एक विशाल हॉल के होने के प्रमाण मिला है।
इतिहासकार इसे अशोक के शासनकाल में निर्मित मानते हैं। कहा जाता है की इस हॉल का निर्माण संभवतः सभागार के रूप में हुआ होगा। जहाँ बौद्ध धर्म की तृतीय बौद्ध संगती का आयोजन किया गया था।
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कुम्हरार Patna का इतिहास PATLIPUTRA HISTORY IN HINDI
पाटलीपुत्र का इतिहास बहुत ही पुराना है। कहते हैं की एक राजा था जिसका नाम पुत्रक था। उसी राजा ने अपनी रानी पाटली के नाम पर इस नगर को आबाद किया और इसका नाम पाटलीपुत्र रखा।
उसके बाद उदपी नामक राजा ने इसी के साथ एक और नगर बसाया जिसका नाम कुसुमपुर रखा गया। कलांतर में दोनो नगर मिलाकर एक महानगर हो गया।
जहॉं से आजतशत्रु, चन्द्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक ने अपने विशाल मगध साम्राज्य का संचालन किया। चन्द्रगुप्त मौर्य ने इस किले के चारों तरफ लकड़ी की प्राचीर(किले का बाहरी दीवार)का निर्माण किया।
इस प्राचीर के अंदर लकड़ी के ही सुंदर महल बनवाये गये। यूनानी राजदूत जब चन्द्रगुप्त के दरबार में आया था तब उन्होंने इस महल की अनुपम सुंदरता को देखकर आश्चर्य चकित रह गये थे।
कलांतर में सम्राट अशोक ने इस प्राचीर के अंदर पत्थर से एक विशाल महल का निर्माण कराया। इस महल को जब चीनी भ्रमणकारी फहयन देखकर दंग रह गये थे। महल को देखकर वे अचंभित रह गये की पत्थर से भी इतना सुंदर महल बनाया जा सकता है।
सबसे पहले अजातशत्रु ने बनाई थी अपनी राजधानी
इतिहासकारों के अनुसार सबसे पहले अजातशत्रु ने अपने राजधानी राजगृह से स्थानतारित कर पाटलीपुत्र में ही बसाया था। क्योंकि सामरिक दृष्टिकोण से पाटलीपुत्र राजगृह की तुलना में काफी सुरक्षित समझा गया।
अजातशत्रु के बाद पाटलीपुत्र, चन्द्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक की राजधानी रही। इन राजाओं ने पाटलिपुत्र से शासन का संचालन करते हुए अपने सीमाओं का विस्तार दक्षिण भारत से लेकर अफगानिस्तान तक किया।
इस प्रकार चन्द्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक अपने साम्राज्य का सम्पूर्ण विस्तार किया और अखंड भारत को एक मूर्त रूप दिया। कहते हैं की लगभग करीव 600 ईसा पूर्व पाटलीपुत्र बहुत ही समृद्ध शहर था।
पाटलिपुत्र का उल्लेख मेगास्थनीज द्वारा लिखी गयी प्रसिद्ध पुस्तक इंडिका में मिलता है। जब यूनान के राजदूत के रूप में मेगास्थनीज, चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था।
मेगास्थनीज ने की थी नगर की तारीफ
मेघस्थानिज ने अपनी पुस्तक “इंडिका” में पाटलिपुत्र के लिए पालीबोथ्रा शब्द का प्रयोग किया है। उन्होंने अपनी पुस्तक में पटलीपुत्र की संरचना और नगर व्यवस्था के बारें में भी जिक्र किया है।
तब यहाँ की राज्य व्ययवस्था और महल को देखकर बहुत खुश हुआ था। उन्होंने अपनी पुस्तक में पाटलीपुत्र का वर्णन करते हुए लिखा है की इस नगर का विस्तार गंगा के किनारे करीब 14 की मी तक फ़ैला था।
लकड़ी के विशाल प्राचीर और गहरी खाई से इस नगर को सुरक्षित किया गया था। उनके अनुसार पाटलीपुत्र समान्तर चतुर्भुज जैसा शहर था।
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कुम्हरार पार्क पटना
वर्तमान में इस स्थान को एक पार्क का रूप दे दिया गया है। जिसमें एक संग्रहालय का का निर्माण किया गया हैं। इस संग्रहालय में खुदाई से प्राप्त चीजों को पर्यटक को देखने के लिए सुरक्षित रखा गया है।
संग्रहालय में सुरीक्षित हैं अवशेष
इस संग्रहालय में खुदाई से प्राप्त ताम्बे के बर्तन, उस काल के आभूषण, सिक्के, मिट्टी के बर्तन, हाथी दांत से निर्मित सामान, आदि संरक्षित हैं। हर बर्ष लाखों पर्यटक इस इतिहासिक स्थल को देखने पटना जाते हैं।
दोस्तों Patliputra History In Hindi – कुम्हरार पटना के बारें में यह जानकारी आपको कैसी लगी अपने सुझाव से जरूर अवगत करायें।