राजगीर बिहार का इतिहास और जानकारी – Information about Rajgir Bihar in Hindi
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राजगीर, महाभारत में वर्णित जरासंध की राजधानी हुआ करती थी। राजगीर को ही प्राचीन समय में राजगृह के नाम से जाना जाता था। हरे भरे खेत, घने जंगल के बीच स्थित राजगीर की प्राकृतिक सुंदरता बड़ा ही मनमोहक है।
पांच पहाड़ियों विपुलाचल, रत्नागिरि, सोनागिरि, वैभारगिरि, उदयगिरि के मध्य स्थित राजगीर की प्राकृतिक छटा अत्यंत ही निराली है। बिहार के यह प्रसिद्ध धार्मिक व टूरिस्ट प्लेस राजगीर पटना से करीब 100 कि.मी. दूर दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित है।
राजगीर जैन, बौद्ध और हिन्दू धर्म के लोगों का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। हम राजगीर को कई धर्मों के एक संगम स्थली के रूप में देख सकते हैं। भगवान बुद्ध व तथा महावीर स्वामी ने यहां अपना धार्मिक उपदेश व व्याख्यान दिए हैं।
यहां स्थित एक पर्वत पर गौतम बुद्ध ने मौर्य सम्राट बिम्बसार को दीक्षा प्रदान की थी। गौतम बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद राजगीर के सप्तपर्णी गुफा में प्रथम बौद्ध समिति का आयोजन हुआ था। इसके साथ ही राजगीर एक मनमोहक हेल्थ रेसॉर्ट के रूप में भी पूरे भारत में प्रसिद्ध है।
राजगीर के बारे में बताइए
राजगृह का वर्तमान नाम | राजगीर |
राजगीर बिहार पर्यटन स्थल | सप्तपर्णि गुफा, जरासंध का अखाड़ा, सोना भंडार गुफा, बिम्बिसार की जेल |
राजगीर का अर्थ | मकान बनानेवाला कारीगर या मिस्त्री। |
जिला | नालंदा जिला |
पिन कोड | 803116 |
राजगीर का इतिहास – history of rajgir in hindi
बिहार के राजगीर का इतिहास अति प्राचीन माना जाता है। प्राचीन काल का राजगृह आजकल राजगीर के नाम से जाना जाता है। जो वर्तमान में बिहार के नालंदा जिले का हिस्सा है। राजगीर का कई नाम हुए कभी यह वृहदरपुर, गिरिवज्र और कुशग्रपुर और राजगृह के नाम से भी जाना जाता था।
विपुलाचल, सोनागिरि, वैभारगिरि, रत्नागिरि, उदयगिरि नामक पाँच पहाड़ियों के बीच में अवस्थित राजगीर एक धार्मिक और एतिहासिक भूमि है जिसकी प्राकृतिक छटा अत्यंत ही मनोरम है। इन पांचों पहाड़ी का अपना खासा महत्व है। जैन धर्म के 26 जैन मंदिर इन्हीं पांचों पहाड़ी पर स्थित है।
बिहार का राजगीर कभी जरासंध, बिम्बसर, कनिक जैसे प्रसिद्ध शासकों की राजधानी थी। राजगीर, आजतशत्रु के शासन काल में पाटलिपुत्र से पहले मगध की राजधानी हुआ करती थी। यहाँ पर अजातशत्रु द्वारा निर्मित किला और बिम्बसार कारागृह को देखा जा सकता है।
जापानी बौद्ध समुदाय के द्वारा अनुपम विश्व शांति स्तूप वास्तुकला के दृष्टि से अनुपम है। कहते हैं की भगवान गौतम बुद्ध जब राजगीर पधारे थे। तब उस बक्त राजगीर में बिंबिसार मगध के राजा थे। बिंबिसार ने बौद्ध धर्म अपनाया और भगवान बुद्ध के परम शिष्य बन गये।
राजगीर का गौरवशाली इतिहास
चीनी यात्री फाहीयान ने भी अपने यात्रा वृतांत में इस बात का जिक्र किया है की बिंबिसार के पुत्र आजतशत्रु ने राजगीर के पहाड़ियों के पास राजगृह नामक शहर बसाया था। यह स्थल भगवान गौतम बुद्ध और भवन महावीर से भी जोड़कर देखा जाता है।
पाँच सुंदर पहाड़ियाँ से धीर यह स्थल जहाँ जैन धर्म का पवित्र स्थल है वहीं राजगीर को भगवान बुद्ध के साधना स्थली के रूप में भी देख जाता है। कहा जाता है की भगवान बुद्ध के उपदेश को राजगीर की धरती पर ही लिपिबद्ध किया गया था। बौद्ध धर्म की प्रथम बौद्ध संगति भी बिहार के राजगीर में ही हुई थी।
राजगृह का प्राचीन इतिहास
कहते हैं की गौतम बुद्ध ने रत्नागिरि पर्वत के पास गृद्धकूट पहाड़ी पर अपना उपदेश दिया। वैभारगिरि पहाड़ी के बारे में कहा जाता है की भगवान बुद्ध के निर्वाण के पश्चात पहला बौद्ध सम्मेलन यहीं हुआ था। यह भी माना जाता है की पाली भाषा में लिखित बौद्ध धर्म का प्रसिद्ध धर्म ग्रंथ ‘त्रिपिटक’ यहीं पर तैयार हुआ था।
राजगीर का महाभारत कालीन इतिहास
विपुलगिरि पर्वत के बारे में कहते हैं की यहीं पर जरासंध की राजधानी थी। जिसे भीम ने 18 दिनों तक चले मल्लयुद्ध में भगवान श्री कृष्ण की मदद से मार गिराया।
हिन्दी धर्म ग्रंथ के आधार पर राजगीर का संबंध जगत के सृजनहर ब्रह्मा जी की पवित्र यज्ञ भूमि के रूप में होती है। इस स्थान का वर्णन रामायण, महाभारत, वेद, पुराण और उपनिसद में भी मिलता है।
पांच पहाड़ियाँ के मध्य स्थित है राजगीर
राजगीर पांच पहाड़ियों से घिरा है। इसमें से हरेक पहाड़ी धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। आईये राजगीर के पांच पहाड़ी के बारें में विस्तार से जानते हैं।
1. विपुलाचल –
विपुलाचल पहाड़ी जैन धर्म के विशेष महत्व रखता है। इस पहाड़ी पर भगवान महावीर की भव्य एवं काफी आकर्षक विशाल प्रतिमा स्थित है। इस पहाड़ी पर चढ़ने हेतु पर्यटक के के लिए 550 सीढ़ियाँ बनी निर्मित हैं।
कहा जाता है की विपुलाचल पर ही भगवान महावीर स्वामी का सर्वप्रथम उपदेश हुआ था । इसके अलावा इस स्थल पर भगवान महावीर के चरण चिन्ह, और दिगम्बर मंदिर भी दर्शिनीय हैं।
2. रत्नागिरि –
रत्नागिरि पर्वत भी जैन समुदाय के लिए बेहद खास हैं। इस पर्वत की दूरी विपुलाचल से 2 किलोमीटर के करीब है। इस पर्वत शिखर पर जाने के लिए 1300 के करीब सीढ़ियाँ बनी हुयी है।
रत्नागिरी पहाड़ी को भगवान मुनिसुव्रत नाथ स्वामी की तप एवं ज्ञान स्थली के रूप में जाना जाता है। यहाँ भगवान मुनिसुव्रत नाथ जी की पद्मासन प्रतिमा स्थापित है। इसके अलावा यह पहाड़ी दिगम्बर जैन मन्दिर और शिखरबंद मन्दिर के लिए प्रसिद्ध है।
3. उदयगिरि –
यह पर्वत को जैन समुदाय के बेहद खास है। इसकी दूरी रत्नागिरि पहाड़ी से करीब 3 किलोमीटर है। उदयगिरि पहाड़ी पर चढ़ाईके लिए 750 के करीब सीढ़ियाँ बनी हुयी है। इस पहाड़ी पर एक मन्दिर में भगवान महावीर की खड्गासन प्रतिमा विराजमान है।
यहाँ यात्री के लिए विश्राम एवं जलपान की भी व्यवस्था दिगम्बर जैन कमिटी की ओर से निःशुल्क करायी जाती है।
4. स्वर्णगिरि –
स्वर्णगिरि पहाड़ी के बारें में मान्यता है की यह लाखों जैन मुनियों की निर्वाण स्थल है। यहाँ स्थित मन्दिर में भगवान शांतिनाथ, भगवान कुंथुनाथ, आदिनाथ, भगवान शांतिनाथ और भगवान अरहनाथ की प्रतिमा विराजमान है।
इस पहाड़ी पर चढ़ने के लिए 1000 से अधिक सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं।
5. वैभारगिरि –
यह पर्वत 24 में से 23 तीर्थंकरों के समवसरण स्थली मानी जाती है। इस पहाड़ी के ऊपर स्थित मंदिर में भगवान महावीर की पद्मासन रूप में प्रतिमा स्थापित है।
इसके अलावा यहाँ श्वेताम्बर मन्दिरों, प्राचीन चौबीसी मन्दिर और जरासंध द्वारा पूजित भगवान महादेव का अति प्राचीन मन्दिर भी दर्शनीय है।
राजगीर महोत्सव (rajgir mahotsav )
मगध राज्य की प्राचीन राजधानी राजगीर वर्तमान में अपने महोत्सव के लिए भी प्रसिद्ध है। प्रतिवर्ष दिसंबर के महीने में राजगीर में एक भव्य उत्सव का आयोजन किया जाता है। यह उत्सव राजगीर राजगीर महोत्सव के नाम से पूरे भारत में प्रसिद्ध है।
तीन दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में नृत्य और संगीत और बिहार की संस्कृति से अवगत कराया जाता है। राजगीर महोत्सव के दौरन बिहार की प्राचीन और आधुनिक झाँकी को प्रदर्शित किया जाता है।
इसके अलाबा राजगीर महोत्सव के दौरान शास्त्रीय संगीत, लोक नृत्य और संगीत और कुश्ती की भी आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर बड़े-बड़े कलाकार भी राजगीर में अपना प्रदर्शन देते हैं।
राजगीर महोत्सव के दौरान हस्तशिल्प स्टालों और बिहार में निर्मित कई चीजों को देखा जा सकता है। इस मेले में आप बिहार के कई फेमस व्यंजन का मजा ले सकते हैं। राजगीर में ठहरने के लिए कई अच्छे होटल उपलबद्ध हैं।
राजगीर का मलमास मेला
राजगीर का मलमास मेला राजगीर की पहचान बन चुकी है। राजगीर में लगने वाला मलमास मेले की गिनती भारत के प्रसिद्ध मेले में की जाती है। यहाँ पर प्रत्येक तीन बर्ष में एक बार मलमास के अवसर पर प्रसिद्ध मेले का आयोजन किया जाता है।
इस मेले का अपना धार्मिक महत्व है। हिन्दू समुदाय के लिए यह बेहद ही खास मेला होता है। इस अवसर पर कहते हैं की सभी देवी-देबता राजगीर में ही निवास करते हैं। इस कारण से यह स्थल हिन्दू समुदाय के लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना गया है।
इस दौरान राजगीर के पवित्र कुंडों में स्नान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार मलमास तीन साल में एक बार आता है। पुराणों के अनुसार यह मास किसी पवित्र कार्य के शुरुआत के लिए अशुभ माना जाता है।
लेकिन इस दौरन चूँकि सभी देवी-देवता राजगीर में आकार वास करते हैं इस कारण राजगीर में स्नान व दान विशेष पुण्यदायक माना गया है।
राजगीर में क्या क्या है – rajgir india points of interest
आज राजगीर एक अंतरास्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। प्रतिवर्ष लाखों लोग विहार के इस इतिहाससिक और धार्मिक स्थल की यात्रा करते हैं। बिहार के इस प्राचीन धार्मिक और इतिहासिक स्थल राजगीर में भारत के विभिन्न राज्य से लोग यहाँ आते हैं।
यहाँ भारत के अलावा विदेशी पर्यटक भी काफी संख्या में आते हैं। राजगीर में श्रीलंका, चीन, बर्मा, नेपाल, भूटान के अलावा जापान, इंग्लैंड, थाईलैंड, कोरिया और अमेरिका से भी पर्यटकों आते है। बिहार के राजगीर धार्मिक तीर्थस्थल की संगम स्थली है।
यहाँ लगने वाले बृहद मलमास मेला पूरे भारत में प्रसिद्ध है। इसके साथ ही हर साल यहाँ राजगीर महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है। राजगीर की पहाड़ियों और यहाँ की खूबसूरत वादियां पर्यटकों को खूब आकर्षित करती है। यहाँ के प्रमुख पर्यटन स्थल में प्रमुख हैं।
- सप्तपर्णि गुफा – बौद्ध समुदाय के लोगों के लिए यह गुफा विशेष महत्व रखता है।
- जरासंध का अखाड़ा– कहा जाता है की इसी अखाड़े पर जरासंध मलयुद्ध करते थे।
- मनियार मठ – राजगीर के एक महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल में से एक।
- राजगीर के वन्यजीव अभयारण्य – कई दुर्लभ प्रजाति के जीव जन्तु के लिए प्रसिद्ध।
- वीरायतन – जैन मुनि द्वारा स्थापित जनसेवा केन्द्र एवं जैन तीर्थंकर की सुंदर प्रदर्शनी ।
- पंडू पोखर – एक सुंदर पार्क व झील जहाँ महाराज पाण्डू की विशाल मुर्ति भी लगी है।
- गृद्धकूट पर्वत – इस स्थल भगवान गोतम बुद्ध की तपोस्थली के रूप में प्रसिद्ध है।
- वेणुवन – बौद्ध समुदारी का पवित्र स्थल को भगवान बुद्ध से जोड़कर देखा जाता है।
- स्वर्ण भण्डार गुफा – कहा जाता है की यहाँ मगध सम्राट का अकूत खजाना हो सकता है।
- घोड़ा कटोरा – यहाँ पर्यटक खूबसूरत झील और पार्क का नजारा का आनंद उठाते हैं।
- श्री जैन श्वेताम्बर मन्दिर – जैन समुदाय का प्रसिद्ध नवलखा जैन मन्दिर, राजगीर,
- विश्व शांति स्तूप – यह स्तूप बौद्ध समुदाय के लिए सबसे पवित्र और दर्शनीय स्थल में से एक।
- विम्बिसार का जेल – यहाँ अजातशत्रु ने अपने पिता मगध सम्राट विम्बिसार को कैद करके रखा था ।
- जरादेवी मन्दिर – यह महाभारत में वर्णित जरासंध की आराध्य, जरादेवी का मन्दिर के लिए प्रसिद्ध।
- झूला (रोपवे) – पहाड़ी पर स्थित विभिन्न स्थल का दर्शन हेतु रोपवे का इस्तेमाल रोमांचक भर होता हैं।
- जापानी मन्दिर – जापान के बौद्ध समुदाय के सहयोग से निर्मित भगवान बुद्ध की अति भव्य मन्दिर।
- गर्म पानी के झरने – यहाँ 22 कुंड हैं। इनमें से कुछ कुंड गर्म जल के प्राकृतिक झरने के लिए प्रसिद्ध हैं।
- राजगीर का ग्लास ब्रिज – इसे चीन में बने कांच के ब्रिज के तर्ज पर ग्लास ब्रिज का निर्माण किया गया है।
राजगीर कितने पहाड़ियों से घिरा हुआ है?
राजगीर पांच प्रसिद्ध पहाड़ियों से घिरा क्षेत्र है। इन पांच पहाड़ियों के नाम विपुलगिरि, रत्नागिरि, उदयगिरि, स्वर्णगिरि और वैभारगिरि हैं। राजगीर का वर्णन त्रेता और द्वापर युग में भी मिलता है।
राजगीर का पुराना नाम क्या है?
राजगीर का पुराना नाम राजगृह है। जो पहले यह मगध साम्राज्य की राजधानी थी।
राजगृह कहाँ स्थित है?
राजगीर की दूरी पटना से करीब 100 किलो मीटर है। राजगृह अथवा राजगीर बिहार के नालंदा ज़िले में स्थित एक प्रसिद्ध स्थान है।
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Q. राजगृह किसकी राजधानी थी? Ans. राजगीर प्राचीनकाल में मगध साम्राज्य की राजधानी थी. जिसे राजगृह के नाम से भी जाना जाता है.
Q. राजगीर क्यों प्रसिद्ध है? Ans. राजगीर अपने इतिहासिक और धार्मिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। पांच पहाड़ियों से घिरा राजगीर हिन्दी, बौद्ध और जैन धर्म के लिए खास महत्व रखता है।
Q. राजगीर किस जिले में है? Ans. राजगीर बिहार राज्य के नालंदा जिले में स्थित प्रसिद्ध स्थल है। राजगीर का इतिहास अति प्राचीन है. किसी समय में राजगीर मगध साम्राज्य की राजधानी हुआ करती था।
Q. पटना से राजगीर कितना किलोमीटर है? Ans. पटना से राजगीर करीब 105 किलोमीटर है।
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