अकबर के बारे में पूरी जानकारी, जन्म, इतिहास, शासन काल, किला, युद्ध, धार्मिक नीति, नवरत्न, प्रख्यात गायक, किसने मारा था, मृत्यु कैसे हुई, मृत्यु कब हुई थी, अकबर का मकबरा, पत्नी, बच्चे [Information about Akbar in Hindi]
अकबर के बारे में पूरी जानकारी – Information about Akbar in Hindi
अकबर का पूरा नाम जलाल-उद-दीन मुहम्मद अकबर था। वह अकबर महान के नाम से भी जाना जाता है। तीसरा मुगल सम्राट अकबर का शासनकाल 1556 से लेकर 1605 तक माना जाता है।
भारत के इतिहास के सबसे महान शासकों में अकबर की गिनती होती है। वे अपने सैन्य अभियानों, साम्राज्य विस्तार सहित अनेकों उपलब्धियों और धार्मिक सहिष्णुता के कारण प्रसिद्ध है।
अकबर महान का जन्म 1542 में उमरकोट, सिंध (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। वह दूसरे मुगल सम्राट हुमायूं और हमीदा बानू बेगम के बेटे थे।
अपने पिता हुमायूं की आकस्मिक निधन के बाद मात्र 13 साल की उम्र में अकबर मुगल साम्राज्य का शासक बना था। उन्होंने अपने साम्राज्य का विस्तार अफगानिस्तान, पाकिस्तान और उत्तरी और मध्य भारत के कुछ हिस्से तक कर लिया था।
उनके शासन में मुगल साम्राज्य अपनी समृद्धि और शक्ति के चरम पर थी। अनपढ़ होते हुए भी अकबर एक कुशल सैन्य रणनीतिकार थे। उन्होंने अपने बुद्धिमानी के द्वारा कई अभियानों को सफल बनाते हुए साम्राज्य का विस्तार किया।
अपने शासनकाल में अकबर ने कई प्रशासनिक और आर्थिक सुधार किए। उन्हें एक केंद्रीकृत और कुशल प्रशासन स्थापित करने के लिए सिक्के, वजन और माप को मानकीकृत करने का श्रेय दिया जाता है।
इसके अलावा उन्होंने कर प्रणाली में सुधार किया और गैरमुस्लिमों पर लगने वाले जजीया कर को खत्म किया। उन्होंने सभी धर्मों के लोगों को स्वतंत्र रूप से जीने की आजादी और अपने धर्मों का पालन करने की अनुमति दी।
इस प्रकार वे अपनी समाज में धार्मिक सहिष्णुता लाने और जातीय समूहों के बीच एकता लाने के प्रयासों के लिए भी प्रसिद्ध था।
सम्राट अकबर की मृत्यु 1605 ईस्वी में 63 वर्ष की उम्र में हुआ। उनके मृत्यु के बाद उनका पुत्र जहाँगीर गद्दी पर बैठा। अकबर को अपने सैन्य अभियानों, सांस्कृतिक उपलब्धियों और धार्मिक सहिष्णुता के लिए भारतीय इतिहास में एक महान शासकों में जाना जाता है।
अकबर का जन्म व प्रारम्भिक जीवन
जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 ईस्वी में सिंध के राजपूत किले अमरकोट(वर्तमान पाकिस्तान ) में हुआ था। उनका जन्म पूर्णिमा के दिन हुआ था इसी से उनका जाम बदरुद्दीन मोहम्मद अकबर रखा गया था।
क्योंकि बद्र का मतलब पूर्ण चाँद होता है। साथ ही उनके नाम के साथ अकबर लिखा जाता है जिस नाम से वह इतिहास में प्रसिद्ध भी हुया। वह नाम उनके नाना शेख अली अकबर जामी के नाम से अपनाया गया था
अकबर के पिता का नाम मुगल सम्राट हुमायूं था तथा उनकी माता हमीदा बानू बेगम थी। कहा जाता है की अकबर का लालन पालन अफगानिस्तान में उनके चाचा-चाची के पास हुआ था।
बचपन से ही अकबर तेज दिमाग का था उन्होंने बचपन में ही शिकार और युद्ध कला में प्रवीण हो गये थे। अकबर के गुरु का नाम अब्दुल लतीफ ईरानी था। अकबर का संरक्षक बैरम खान था, जो उनका पूरा ख्याल रखता था।
मात्र 13 वर्ष की अवस्था में गद्दी पर बैठना
जब अकबर की उम्र मात्र 13 साल का था तब उनके पिता हुमायूं की अचानक मृत्यु हो गई। हुमायूं के निधन के बाद अकबर मात्र 13 साल की उम्र में मुगल साम्राज्य की बागडोर संभाली।
इतिहासकार के अनुसार अकबर का राज्याभिषेक 14 फरवरी 1556 को पंजाब के कलनौर में हुआ था। इस दौरान अकबर को अपना संरक्षक बैरम खान का भरपूर साथ मिला। बैरम खान 1556 से 1560 ई तक अकबर के संरक्षक रहे।
अकबर का इतिहास
तैमूरी वंशावली के मुगल वंश का तीसरा शासक अकबर को अकबर-ए-आज़म व शहंशाह अकबर के नाम से भी पुकारा जाता है।
अकबर एक कुशल शासक साबित हुआ। सत्ता संभालने के बाद धीरे-धीरे उनके साम्राज्य का विस्तार अफगानिस्तान, पाकिस्तान और उत्तरी और मध्य भारत के कुछ हिस्से तक हो गया।
अकबर का पहला मुकाबला पंजाब के शेरशाह सूरी के बेटे सिकंदर शाह सूरी के साथ हुआ। जिसमें उन्होंने सिकंदर शाह सूरी को युद्ध में पराजित किया। उसके बाद उनका प्रसिद्ध युद्ध पानीपत की दूसरी लड़ाई थी।
इस लड़ाई में अकबर और हिन्दू राज्य हेमू के बीच घमासान लड़ाई हुई। जिसमें हेमू की हार हुई। अकबर ने करीब 50 साल तक राज्य किया उनका शासनकाल 1556 से लेकर 1605 तक माना जाता है।
अपने अंतिम समय तक अकबर अपने सत्ता का विस्तार भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्सों तक कर लिया था।
अकबर की कितनी बेगम थी
अकबर के अनेकों बेगम थी। लेकिन जोधा बाई, सलीमा सुल्तान बेगम, रूकैया सुल्तान बेगम, हीरा कुंवारी, बीबी दौलत शाद, मान बाई, शहर बानो बेगम आदि नाम प्रमुख हैं।
अकबर की रणनीति
अकबर एक अच्छे रणनीतिकार थे। उन्होंने भारत के अधिकांश बहु-भाग को अपने शासन के अधीन शामिल करने की कोशिश की। इसके लिए उन्होंने कई रणनीतियों को अपनाया।
कहीं पर उन्होंने अपनी सैन्य शक्तियों का भी इस्तेमाल किया। और कहीं पर अपने प्रशासनिक कौशल का थे। अकबर की शासन प्रणाली की सबसे प्रमुख विशेषता मनसबदारी प्रथा थी। उन्होंने हिन्दू और मुस्लिम को एक साथ लेकर चलने का काम किया।
अकबर ने कई हिंदू राजाओं की कन्याओं के साथ वैवाहिक सबंध स्थापित किए। लेकिन उनसे शादी करने के बाद भी अकबर ने कभी भी अपनी हिन्दू रानियों को इस्लाम धर्म कुबूल करने के लिए बाध्य नहीं किया।
अकबर ने कितने युद्ध लड़े
अपने शासनकाल के दौरान अकबर ने अनेकों युद्ध लड़े, लेकिन उनके द्वारा लड़ी गई कुछ लड़ाई की चर्चा इतिहास में सबसे अधिक होती है।
- पानीपत का दूसरा युद्ध – 1556 (अकबर और हिन्दू राज्य हेमू के बीच)
- थानेसर का युद्ध – 1567 ईस्वी में
- तुकारोई का युद्ध – 1575 (अकबर और बंगाल की सल्तनत के बीच)
- हल्दीघाटी का युद्ध – 1576 (अकबर और महाराणा प्रताप के बीच )
महाराणा प्रताप और अकबर का युद्ध
हल्दीघाटी का प्रसिद्ध लड़ाई मुगल बादशाह अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हुआ था। 18 जून 1576 ई को लड़ा गया यह युद्ध अत्यंत ही विनाशकारी सिद्ध हुआ था। कुछ इतिहासकार मानते हैं की इस युद्ध में न तो अकबर की जीत कही जा सकती है और न ही राणा हार। क्योंकि एक तरफ अकबर सेना के पास अपार सैन्य शक्ति थी तो वहीं राणा प्रताप के पास अदम्य आत्मशक्ति। इसी कारण से महाराणा प्रताप ने कभी अकबर के सामने घुटने नहीं टेके।
सर्वधर्म का सम्मान
अकबर अपनी धार्मिक सहिष्णुता की नीति और साम्राज्य के भीतर विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के लोगों को एक साथ लाने के प्रयासों के लिए भी इतिहास में प्रसिद्ध है।
अकबर ने अपने साम्राज्य की एकता कायम रखने के लिए सर्वधर्म समभाव की नीतियां अपनाई। ताकि अन्य समुदाय के लोगों की राजभक्ति जीती जा सके।
बादशाह अकबर के बारें में कहा जाता है की उन्होंने वे दुनिया के सभी धर्मों का सम्मान करते थे। उनका मानना था की सभी धर्म भले ही अलग हो सकते हैं लेकिन ईश्वर एक है।
अपने धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण के परिणामस्वरूप ही अकबर ने सभी समुदाय के बीच एकता कायम करने के लिए दीन-ए-इलाही, धर्म की स्थापना किया।
अकबर के नवरत्न
सम्राट अकबर के दरबार में नौ नवरत्न थे। उनके सभी नौ नवरत्न अपने अपने क्षेत्र में विद्वान थे। अकबर के नवरत्न में नवरत्न का नाम था
- अबुल फजल,
- फैजी,
- तानसेन,
- बीरबल,
- राजा टोडरमल,
- राजा मानसिंह,
- अब्दुल रहीम खान-ए-खाना,
- फकीर अजिओं-दिन
- मुल्ला दो प्याजा
अकबर वास्तुकला प्रेमी थी। उन्होंने फतेहपुर सीकरी में दुनियाँ का सबसे बड़ा दरवाजा बुलंद दरवाजा का निर्माण करवाया। यह दरवाजा उन्होंने गुजरात विजय के यादगार में बनवाया था।
अकबर को किसने मारा था, अकबर की मृत्यु कैसे हुई
कहा जाता है इस महान बादशाह अकबर के शासनकाल के अंतिम समय संघर्ष और अशान्ति में व्यतीत हुआ। अकबर के पुत्र सलीम (जहाँगीर) ने अपने पिता के खिलाफ बगावत कर दिया।
अकबर की मृत्यु 27 अक्टूबर 1605 ईस्वी में आगरा में हुई। आगरा के सिकंदरा में ही उन्हें दफनाया गया। गई। जहाँ आज भी अकबर का शानदार मकबरा देखा जा सकता है।
अकबर से जुड़े तथ्य और जानकारियां
- अकबर का पूरा नाम जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर था।
- अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 में अमरकोट (वर्तमान पाकिस्तान ) में हुआ था।
- हुमायूँ का पुत्र अकबर मुगल वंश का तीसरा शासक था।
- उन्होंने सभी धर्मों के बीच एकता कायम रखने हेतु दीन-ए-इलाही धर्म की स्थापना की।
- बीरबल अकबर के नौरत्नों में सर्वोपरि थे। उनकी मृत्यु युसुफजाइयों के विद्रोह को दबाने के दौरान हुई।
- अकबर ने बीरबल को कविप्रिय और नरहरिको महापात्र की उपाधि दी थी
- दीन-ए-इलाही धर्म को अपनाने वाला बीरबल प्रथम और अंतिम हिंदू शासक था।
- अकबर के शासनकाल में राजस्व प्राप्ति की जब्ती प्रणाली का प्रचलन था।
- तानसेन, अकबर के दरबार का प्रख्यात गायक था।
- इनके दरबार के प्रसिद्ध चित्रकार का नाम अब्दुससमद था
- अकबर का वित्त मंत्री राजा टोडर मल था।
- अकबर के दरबार के राजकवि अबुल फजल था।
- अकबर को सिंकदरबाद के पास दफनाया गया था।
- अकबर के सेनापति का नाम मान सिंह था।
- अबुल फजल, अकबर के राजकवि थे जिन्होंने अकबरनामा एवं आइने अकबरी की रचना की।
- अकबर ने बुलंद दरवाजे का निर्माण गुजरात विजय के उपलक्ष्य में करवाया था
F.A.Q
अकबर का जन्म कब हुआ था ?
बादशाह अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 ईस्वी में सिंध के राजपूत किले अमरकोट मे हुआ था।
अकबर को एक महान सम्राट क्यों माना जाता है?
अकबर ने मनसबदारी प्रथा चलाई, जजीया कर को खत्म कर सर्व धर्म सम भाव का परिचय दिया। अपने कुटिनीति और सैन्य नीति दोनों का प्रयोग कर उन्होंने प्रजा का साथ लेकर चला।
अकबर ने भारत पर कितने साल राज किया?
अकबर का शासनकाल 1556 से लेकर 1605 ईस्वी तक माना जाता है। इस दौरान उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश भाग पर शासन किया।
अकबर की मृत्यु कब और कैसे हुई ?
अकबर का अंत समय अपने पुत्र को लेकर थोड़ा संकट में वीता। अकबर को किसी ने भी नहीं मार उनकी मृत्यु प्राकृतिक रूप से 1605 ईस्वी में हुई।
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