देवताओं के चिकित्सक अश्विनी कुमार | Ashwini Kumaras in Hindi

देवताओं के चिकित्सक अश्विनी कुमार | Ashwini Kumaras in Hindi

देवताओं के चिकित्सक अश्विनी कुमार, जिसने वृद्ध च्यवन ऋषि को फिर से जवान किया था। Hindu god Ashwini Kumaras in Hindi

वैदिक काल में अश्विनी कुमार (hindu twin gods) नामक दो प्रसिद्ध वैध हुए। कहा जाता है की अश्विनी कुमार ( hindu twin gods ) दो जुड़वां भाई थे।

इनकी चर्चा वेदों में भी मिलती है। इन्होंने दक्ष प्रजापति से आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त किया था। हिन्दू धर्म ग्रंथों में ashwini brothers को देवताओं के वैद्य के रूप में होती है।

देवताओं के चिकित्सक अश्विनी कुमार का नाम 33 हिन्दू देवता की सूची में शामिल है। Ashwini devatas प्राचीन भारत के प्रसिद्ध वैद्य थे। इनका नाम चिकित्सा जगत में बड़े ही आदर के साथ लिया जाता है।

उन्होंने शरीर को स्वस्थ रखने और रोगमुक्ति हेतु कई उपाय बतलाये। अश्विनी कुमार का नाम विशुद्ध आयुर्वेद के ज्ञाता के सूची में अग्रणी है। हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध ग्रंथ पुराणों में भी अश्विनी कुमार के प्रसिद्धि का खूब वर्णन मिलता है।

कहा जाता है की उन्होंने वृद्ध च्यवन ऋषि को अपने औषधि से जवान बना दिया था। उन्होंने दधीचि ऋषि के कटे सिर को पुनः जोड़कर ठीक कर दिया था।

देवताओं के चिकित्सक अश्विनी कुमार | Ashwini Kumaras in Hindi
देवताओं के चिकित्सक अश्विनी कुमार | Ashwini Kumaras in Hindi

इन तथ्यों से यह साबित होता है वैदिक काल में भी भारतवर्ष चिकित्सा के क्षेत्र में काफी उन्नत था। आईए देवताओं के वैद्य कहे जाने वाले अश्विनी कुमार के बारें में थोड़ा विस्तार से जानते हैं।

भगवान अश्वनी कुमार के बारें में (about hindu god ashwini kumaras in Hindi )

कौन थे अश्वनी कुमार

कहा जाता है की अश्विनी कुमार दो भाई थे जिनका मूल नाम ‘नासत्य’ और ‘द्स्त्र’ ( nasatya and dasra ) था। अश्विनी कुमार को सूर्य के पुत्र दो पुत्र के रूप में संबोधिति किया जाता है। hindu god ashwini kumaras in Hindi

सूर्य के दोनों पुत्र अश्वनी कुमार वैदिक कालीन आयुर्वेद के प्रकांड विद्वान माने जाते हैं। उन्हें आयुर्वेद का भगवान (gods of ayurvedic) भी कहा जाता है।

ऋग्वेद में अश्विनी कुमारों का वर्णन

कहा जाता है की हमारा देश अति प्राचीन काल से ही चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत विकसित था। यहाँ धन्वंतरि, सुश्रुत, चरक जैसे अनेकों ऋषियों ने चिकित्सा के क्षेत्र में अपना अमूलय योगदान दिया। इन प्राचीन चिकित्सक में अश्वनी कुमार का नाम भी आता है।

आसाध्य रोग-दोष का शमन करनेवाले प्रसिद्ध वैध अश्विनी कुमारों का ऋग्वेद में भी बहुत गुणगान मिलता है। ऋग्वेद में अश्विनी कुमार का उल्लेख आयुर्वेद के आदि आचार्य के रूप में किया गया है।

देवताओं के चिकित्सक के रूप में उल्लेख

अश्वनी नाम का मतलब ( Ashwani ka arth ) शक्तिशाली और पूर्णता से हैं। हिन्दू धर्म ग्रंथों में अश्विनी कुमारों का नाम प्रमुख 33 देवताओं की सूची में शामिल है। अश्विनी देव से पैदा होने के कारण ही इन्हें अश्‍विनी कुमार कहा गया।

अश्‍विनी कुमार को सूर्य का औरस पुत्र भी कहा जाता है। अश्विनी कुमार को वेदों में देवताओं के चिकित्सक के रूप में वर्णित किया गया है।

अश्विनी कुमार ने किनसे प्राप्त किया आयुर्वेद का ज्ञान

पुराणों में वर्णन के अनुसार सर्वप्रथम आयुर्वेद का ज्ञान ब्रह्माजी ने दक्ष प्रजापति को दिया था।  दक्ष प्रजापति से यह ज्ञान अश्विनी कुमार को प्राप्त हुआ।

उसके बाद यह ज्ञान देवराज इंद्र को मिला, इंद्र ने भरद्वाज को बताया, उनसे या स्वयं इंद्र से यह धन्वंतरि व अन्य ऋषियों को प्राप्त हुआ।

अश्वनी कुमार से जुड़ी कहानी – story of ashwini kumars

पौराणिक वैदिक कथाओं के अनुसार एक बार देवताओं के गुरु बृहस्पति का पुत्र शंयु गंभीर रोग से ग्रसित हो गया। काफी उपाय और कई वैध द्वारा उपचार के बाद भी वे निरोग नहीं हो पा  रहे थे।

हर तरफ से थक-हार कर वे अंत में अश्विनी कुमारो से अपने पुत्र शंयु का इलाज करने का आग्रह किया। अश्विनी कुमारों के अद्भुत उपचार से थोड़े ही दिनों में उनके पुत्र शंयु निरोग हो गए।

यह देखकर गुरु बृहस्पति बहुत खुश हुए। उन्होंने दोनों भाई अर्थात अश्विनी कुमार को ‘ओषधियों का स्वामी’ कहकर संबोधित कर प्रशंसा की।

अश्वनी कुमार की उपलब्धियां

दधीचि ऋषि के कटे सिर को जोड़ना

शस्त्रों में वर्णन मिलता है की कटकर धर से अलग हुए सिर को जोड़ने का उन्हें ज्ञान प्राप्त था। इन्होंने दधीचि ऋषि के कटे सिर को दुवारा जोड़ने का काम किया था। कहते हैं की उन्हें दधीचि ऋषि से मधु-विद्या की जानकारी प्राप्त करनी थी।

इसके लिए अश्‍वनी कुमारों को दधीचि ऋषि के सिर को काटना पड़ा था। उन्होंने ऋषि के सिर को काटकर उस स्थान पर घोड़े का सिर जोड़ दिया। इस प्रकार उन्होंने दधीचि ऋषि से मधुविद्या का ज्ञान प्राप्त कर फिर से उनका असली सिर को उनके शरीर से जोड़ दिया।

महाभारत में अश्‍वनी कुमार का जिक्र

महाभारत में भी अश्विनी देव(ashwini devata ) का वर्णन मिलता है। कहा जाता है की महाभारत में 5 पांडवों में नकुल और सहदेव को अश्‍वनी कुमार का ही पुत्र माना जाता है।

वृद्ध च्यवन ऋषि का जवान बनाना 

अश्‍वनी कुमार को वृद्धों को यौवन और नेत्रहीन को नेत्रप्रदाता भी कहा गया है। शस्त्रों में उल्लेख मिलता है की च्यवन ऋषि अत्यंत वृद्ध हो गये थे। तब राजा शर्याति की पुत्री सुकन्या के आग्रह पर अश्‍वनी कुमार ने च्यवन ऋषि का औषधि से उपचार किया।

उनके औषधि के परिणाम के फलस्वरूप कुछ दिनों में ही वृद्ध च्यवन ऋषि फिर से जवान हो उठे थे। कहा जाता है की अश्‍वनी कुमार ने जिन औषधीय मिश्रण के द्वारा च्यवन ऋषि को जवान किया था। वह औषधि कलांतर में च्यवनप्राश के नाम से प्रसिद्ध हुआ। 

अश्विनी कुमार साधना

जैसा की कहा जाता है की अश्वनी कुमार आयुर्वेद के प्रसिद्ध आचार्य थे। कहा ये भी जाता है की इनका शरीर आधे मनुष्य और आधे घोडे का होता है। अर्थात शरीर के नीचे का हिस्सा मनुष्य का और ऊपर का सिर घोड़े का होता है।

कहते हैं की अश्विनी कुमार साधना तथा अश्विनी कुमार स्तोत्र का पाठ करने से रोग-शोक से मुक्ति मिलती है। इनकी साधना के द्वारा आयुर्वेद का प्रकांड विद्वान होने का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।

इस महान प्राचीन वैध के सम्मान में उनके नाम पर हिन्दी पंचांग के एक नक्षत्र का नाम अश्विनी नक्षत्र (ashwini nakshatra ) रखा गया है।

  1. देवताओं के वैध कौन थे?

    अश्वनी कुमारों को देवताओं का वैध कहा गया है। उन्हें हिन्दी के 33 देवताओं की सूची में शामिल किया गया है।

  2. प्राचीन काल के अश्विनी कुमार कौन हैं? Who are the Ashwini Kumaras?

    अश्विनी कुमार को वैदिक काल के प्रसिद्ध चिकित्सक माना गया है। इन्होंने अपने चिकित्सा से वृद्ध च्यवन ऋषि को फिर से जवान किया था।

आपको देवताओं के वैध अश्विनी कुमार (Hindu god Ashwini Kumaras in Hindi ) से संबंधित जानकारी जरूर अच्छी लगी होगी। अपने सुझाव से अवगत करायें।


बाहरी कड़ियाँ (External links)


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