श्रीनिवास रामानुजन का जीवन परिचय – Srinivasa Ramanujan ka jivan parichay

श्रीनिवास रामानुजन का जीवन परिचय – SRINIVASA RAMANUJAN BIOGRAPHY IN HINDI
श्रीनिवास रामानुजन का जीवन परिचय – SRINIVASA RAMANUJAN BIOGRAPHY IN HINDI

श्रीनिवास रामानुजन (Indian mathematician ) की गिनती भारत ही नहीं दुनियाँ के महान गणितज्ञ के रूप में की जाती है। भारत के इस महान गणितज्ञ का पूरा नाम श्रीनिवास अयंगर रामानुजन था।

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श्रीनिवास रामानुजन का जीवन परिचय – Srinivasa Ramanujan ka jivan parichayगणितज्ञ रामानुजन का जीवन परिचय हिंदी में – Srinivasa Ramanujan Biography in Hindiश्रीनिवास रामानुजन् शिक्षा – दीक्षा Ramanujan educationवे इन्टर की परीक्षा में फेल कैसे हुए ?व्यक्तिगत जीवन पत्नी व बच्चे (Personal Life, family)जिंदगी का सबसे मुश्किल दौरगणितज्ञ हार्डी से भेंट व जीवन में नया मोड़रामानुजन का इंगलेंड गमनश्रीनिवास रामानुजन की खोजश्रीनिवास रामानुजन के कार्य एवं उपलब्धियांश्रीनिवास रामानुजन का जीवन परिचय गणित में योगदानसम्मान व उपाधि (Honours and Awards)रामानुजन के सम्मान में ‘राष्ट्रीय गणित दिवस’श्रीनिवास रामानुजन की मृत्यु Ramanujan deathश्रीनिवास रामानुजन के जीवन पर बनी फिल्मउपसंहारश्रीनिवास रामानुजन किस लिए प्रसिद्ध है?श्रीनिवास रामानुजन का जन्म कब हुआ था ?श्रीनिवास रामानुजन की पत्नी का क्या नाम था?

सबसे पहले संख्याओं का सिद्धांत का प्रतिपादन रामानुजन्  ने ही किया था। गणितज्ञ रामानुजन एक निर्धन ब्राह्मण परिवार में जन्म लिए और अनेकों कठिनाइयों का सामना करते हुए महान् गणितज्ञ बनने के शिखर तक पहुंचे।

श्रीनिवास रामानुजन का जीवन परिचय में हम उनके जन्म से लेकर सफलता के उच्चतम शिखर तक की यात्रा का समुपर्ण वर्णन करेंगे। उन्होंने विश्व पटल पर भारत का नाम रौशन किया था।

उनके अंदर गणित के एक सवाल को कई तरीके से हल करने की अद्भुत दक्षता प्राप्त थी। उनके कई शोध, प्रेमय और सूत्र विदेशी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। उन्हें “MAN WHO KNEW INFINITY” भी कहा जाता हैं

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संख्याओं के सिद्धांत के प्रतिपादित के फलस्वरूप रामानुजन गणितज्ञ के रूप में सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्ध हो गये। श्रीनिवास रामानुजन को गणित का जादूगर कहा जाता है।

यदपि उनका आरंभिक जीवनकाल कष्टों में ही बीते। सबसे अहम बात थी की उन्हें गणित के क्षेत्र में कहीं से किसी तरह का विशेष प्रशिक्षण नहीं मिला था।

फिर भी उन्होंने गणित के संख्याशास्त्र पर आधारित कई शोध किए जो उन्हें विश्व विख्यात बना दिया। गणित के क्षेत्र में 1729 संख्या को रामानुजन नंबर से जाना जाता है।

हर वर्ष उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय गणित दिवस ( National Mathematics Day) के रूप में मनाते हैं। तो आईये श्रीनिवास रामानुजन का जीवन परिचय (Srinivasa Ramanujan biography in Hindi ) विस्तार से जानते हैं।

श्रीनिवास रामानुजन का जीवन परिचय – SRINIVASA RAMANUJAN BIOGRAPHY IN HINDI
श्रीनिवास रामानुजन का जीवन परिचय

श्रीनिवास रामानुजन का जीवन परिचय – Srinivasa Ramanujan ka jivan parichay

पूरा नाम (full name )श्रीनिवास अयंगर रामानुजन
जन्म की तारीख22 दिसंबर 1887
श्रीनिवास रामानुजन का जन्म स्थानइरोड गांव, कोयंबतूर
माता का नामकोमल ताम्मल
पिता का नाम श्रीनिवास आयंगर
पत्नी का नाम जानकी रामानुजन
नागरिकताभारतीय (Indian)
उपलब्धियांगणित के प्रमेयों का संकलन व रामानुजन संख्या की खोज
निधन death 26 अप्रैल 1920 चेन्नई
मृत्यु का कारण cause of death क्षय रोग (टी वी)

गणितज्ञ रामानुजन का जीवन परिचय हिंदी मेंSrinivasa Ramanujan Biography in Hindi

रामानुजन का जन्म व प्रारम्भिक जीवन

महान गणितज्ञ श्री निवास रामानुजन 22 दिसंबर सन 1887 ईस्वी में तत्कालीन मद्रास में पैदा हुए थे। श्रीनिवास रामानुजन का जन्म स्थान वर्तमान में तमिलनाडु के कोयंबतूर जिले के इरोड नामक गाँव है। उनका जन्म एक निर्धन तमिल तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। 

रामानुजन्  के पिताजी का नाम श्रीनिवास आयंगर और माता जी का नाम कोमलताम्मल थी। बचपन में इनके माता पिता और परिवार के अन्य लोगों को डर था की कहीं उनका बेटा गूंगा तो नहीं होगा।

क्योंकि वे सामान्य बालक की तुलना में 3 साल बाद बोलना शुरू किया था। लेकिन जब वे बोलने लगे तब उनके माता पिता की चिंता दूर हुई तथा अपने बेटे के कुशाग्र बुद्धि के बारे में भी पता चला। 

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श्रीनिवास रामानुजन् शिक्षा – दीक्षा Ramanujan education

बचपन से ही रामानुजन कुशाग्र बुद्धि के थे। उनकी शिक्षा की शुरुआत तमिल भाषा से हुई। शुरुआत की दिनों रामानुजन को पढ़ाई में तनिक भी मन नहीं लगता था। रामानुजन की प्रारम्भिक शिक्षा कुंभकोणम  में हुई।

जब उनकी पढ़ाई में रुचि जगी तब वे क्लास में अध्यापक को अपने प्रश्न से अक्सर चकित कर देते थे। उन्हें तरह-तरह के चीजों के बारे में जानने जिज्ञासा होती थी। इस कारण वे ऐसे-ऐसे सवाल अपने टीचर से पूछते की, टीचर भी सोच में पर जाते थे।

वे पूछते थे की ‘आकाश और धरती के बीच की दूरी कितनी है? समुन्द्र कितना बड़ा और इसकी गहराई कितनी है? संसार का सबसे पहला इंसान कौन था?

मात्र 10 बर्ष की आयु में उन्होंने प्राइमरी परीक्षा में अपने जिले में टॉप रहे। प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए उनका नामांकन उच्च माध्यमिक विधालय में करा दिया गया। यहीं से उनकी गणित के प्रति लगाव बढ़ने लगा।

उनकी स्मरण-शक्ति तो अच्छी थी ही साथ ही उनके अंदर कड़ी मेहनत करने का गजब का जुनून था। उनकी बुद्धि इतनी कुशाग्र थी की कठिन से कठिन प्रश्न का हल वे चुटकियों में हल कर देते थे।

यही कारण था की वे जल्द ही टीचर और अपने दोस्तों के बीच काफी प्रसिद्ध हो गये। उन्होंने सन् 1903 ईस्वी में मैट्रिक की परीक्षा पास की। इस परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त होने के कारण उन्हें छात्रवृति मिलने लगी।

उनकी लगन और प्रतिभा को देखकर उनके टीचर और सहपाठी हैरान रह जाते थे।

गणित के प्रति उनका इतना लगाव था की कुछ ही दिनों में अपने क्लास के गणित के किताब का सारे सबाल हल कर देते थे। कहते हैं की इन्होंने मात्र 15 साल की उम्र में शूब्रिज कार (G. S. Carr.) की पुस्तक के 5000 से अधिक प्रमेयों को प्रमाणित कर दिया था।

साथ ही 18 साल की उम्र में ही उन्होंने लोनी द्वारा लिखी हुई ज्यामिति (advance Trigonometry) में महारत हासिल कर ली। इसके अलाबा उन्होंने और भी कुछ नये प्रमेय का भी आविष्कार किया।

वे इन्टर की परीक्षा में फेल कैसे हुए ?

श्री निवास रामानुजन की गणित के प्रति गहरी जुनून के कारण अन्य विषयों पर अधिक ध्यान ही नहीं देते। गणित से उन्हें इतना प्रेम हो गया था की रात दिन वे गणित के प्रेमय में लगे रहते।

जब इन्टर की परीक्षा हुई तब वे गणित में टॉपर रहे लेकिन अन्य विषयों में पर्याप्त अंक नहीं मिलने के कारण वे इन्टर में फेल हो गये। इन्टर में फेल होने के पश्चात उन्हें जो छात्रवृति मिल रही वो भी मिलनी बंद हो गयी।

इस प्रकार उनकी औपचारिक शिक्षा की समाप्ति और संघर्ष का समय शुरू हो गया। एक निर्धन परिवार से होने के कारण उन्हें आगे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

व्यक्तिगत जीवन पत्नी व बच्चे (Personal Life, family)

परीक्षा में फेल होने के कारण भी वे निराश नहीं हुए वरन हमेशा में गणित के शोध में लगे रहते। लेकिन उनके पिता बहुत ही चिंतित रहने लगे। उन्होंने रामानुजन् की शादी कराने का फैसला कर दिया।

फलतः 1903 ईस्वी में उनकी शादी हो गयी। रामानुजन की पत्नी का नाम जानकी थी। विवाह के बाद भी उनकी गणित की साधना अनवरत चलती रही।

जिंदगी का सबसे मुश्किल दौर

उनके जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं। शादी के बाद परिवार की जिम्मेवारी काँधें पर आ जाने के बाद वे नौकरी की तलाश में इधर उधर भटकने लगे।

लेकिन उच्च शिक्षा के आभाव में उन्हें नौकरी नहीं मिलती। वे जहॉं भी जाते अपने सर्टिफिकेट की जगह अपने गणित के शोध पत्र को दिखाते।

वे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते जिससे उन्हें महीने की 5 रुपया मिलते। इस तरह बड़ी मुश्किल से उनका गुजरा चलने लगा। काफी परिश्रम के बाद उन्हें 25 रुपये प्रति माह वाली एक नौकरी मिली।

लेकिन वे हिम्मत नहीं हारे और दिन रात गणित की शोध में अनवरत लगे रहे। उन्होंने दुनियाँ को यह सिद्ध करके दिखया की किसी भी पूर्ण संख्या को 3 तरीके तरह से अंकन किया जा सकता है। उनके गणितीय कार्य एवं उपलब्धियाँ ने दुनियाँ का ध्यान खींचा।

गणितज्ञ हार्डी से भेंट व जीवन में नया मोड़

रामानुजन के जीवन में एक नया मोड़ तब आया जब उनका परिचय प्रोफेसर हार्डी से हुआ। उन दिनों में इंगलेंड के प्रोफेसर हार्डी कैम्ब्रिज विश्व-विद्यालय के एक प्रसिद्ध गणितज्ञ माने जाते थे। रामानुजन का प्रोफेसर हार्डी के साथ पत्रव्यावहार हुआ।

रामानुजन जी ने अपने 102 प्रमेयों का शोधपत्र प्रोफेसर हार्डी के पास इंगलेंड भेजा। प्रोफेसर हार्डी ने जब रामानुजन के शोध कार्य को देखा तब वे बहुत प्रभवित हुए।

उन्होंने रामानुजन को कैम्ब्रिज आने के लिए आमंत्रित किया। पैसे के आभाव के कारण रामानुजन इंगलेंड जाने से मना कर दिया।

रामानुजन का इंगलेंड गमन

बाद में प्रोफेसर हार्डी ने उनके लिए पैसे का इंतजाम किया और इंगलेंड जाने की व्यवस्था की। इस प्रकार 17 मार्च सन् 1914 ईस्वी को को रामानुजन विदेश गमन के लिए रवाना हो गए। इंग्लैंड के प्रसिद्ध गणितज्ञ डॉ. हार्डी से मिलकर वे बहुत प्रभावित हुए।

डॉ. हार्डी भी रामानुजन के प्रतिभा से बहुत ही प्रभावित थे। उन्होंने रामानुजन की सहायता की और समझाया। डॉ. हार्डी ने एक बार कहा था की रामानुजन को उन्होंने जितना सिखाया और समझाया उससे कहीं अधिक उन्हें रामानुजन से सीखने को मिला।

श्रीनिवास रामानुजन की खोज

उन्होंने इंगलेंड मे करीब 5 साल विताये। इंगलेंड में रहते हुए उन्होंने गणित के क्षेत्र में कई शोध किए। अपने शोध के कारण वे पूरी दुनियाँ में गणितज्ञ के रूप में मशहूर हो गये।

उन्होंने लैंडा-रामानुजन स्थिरांक, रामानुजन्-सोल्डनर स्थिरांक, रॉजर्स-रामानुजन् तत्समक, रामानुजन अभाज्य, रामानुजन् थीटा फलन, कृत्रिम थीटा फलन प्रतिपादन माना जाता है।

उन्होंने अपने सम्पूर्ण जीवन को गणित के क्षेत्र में समर्पित कर दिया। उन्होंने गणित के सभी आयामों को छुआ। सर्वप्रथम उन्होंने अंकगणित को छुआ और अनेकों नये सूत्र का आविष्कार किया।

श्रीनिवास रामानुजन के कार्य एवं उपलब्धियां

गणित में रामानुजन का अहम योगदान रामानुजन नंबर(1729) को लेकर माना जाता है। रामानुजन संख्या को दो अलग-अलग तरीके से दो घनों के योग के रूप में अंकित किया जा सकता है। उनके द्वारा प्रतिपादित संख्या (1729) रामानुजन संख्याएँ के नाम से विश्व प्रसिद्ध है।

श्रीनिवास रामानुजन का जीवन परिचय गणित में योगदान

श्री निवास रामानुजन की योगदान की बात की जाय तो उन्होंने गणित विषयों में कई महत्त्वपूर्ण काम करते हुए लगभग 3,884 प्रमेयों को संकलित किया। उनके कार्य की दुनियाँ भर में प्रसंशा मिली।

गणित के विश्लेषण एवं संख्या सिद्धांत के क्षेत्र में उनके अहम योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। तत्पश्चात उन्होंने बीजगणित और ज्यामिति की तरफ ध्यान दिया और गणित के कई सूत्रों और समीकरण (equation)का प्रतिपादन किया।

सम्मान व उपाधि (Honours and Awards)

रामानुजन (srinivasa ramanujan)की उम्र जब महज 23 बर्ष की थी तब उनका प्रथम शोध ‘मैथेमेटिकल सोसाइटी’ नामक एक पत्रिका में सन् 1911 ईस्वी में प्रकाशित हुआ था। वर्ष 1916 ईस्वी में लंदन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें बी.ए. की मानक उपाधि प्रदान की गई।

इसके साथ ही उन्हें रॉयल सोसाइटी की सदस्यता  प्राप्त हुई। इसके साथ ही कैंब्रिज के टिनिटी कॉलेज ने भी उन्हें अपना फेलो (सदस्य) बनाया। गुलाम भारत में किसी भारतवासी को मिलनेवाला शायद यह पहला सम्मान था।

उनके सम्मान में हमारी सरकार ने रामानुजन पुरस्कार की शुरुआत की। जो गणित के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया जाता है। भारत सरकार ने उनकी स्मृति में सन 2011 में डाक टिकट (Ramanujan on stamp of India )जारी किया था।

रामानुजन के सम्मान में ‘राष्ट्रीय गणित दिवस’

उनके योगदान को देखते हुए भारत में प्रतिवर्ष उनके जन्मदिवस 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस (NATIONAL MATHEMATICS DAY) के रूप में मनाया जाता है। उनके जन्म प्रदेश तमिलनाडु में उनके जन्म दिवस को आईटी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

श्रीनिवास रामानुजन की मृत्यु Ramanujan death

रामानुजन की मृत्यु 26 अप्रेल 1920 ईस्वी में को तमिलनाडु के कुंभकोणमइस में हुई थी। जैसा की हम जानते हैं की उन्होंने करीव पाँच वर्ष इंगलेंड में रहकर गणित के क्षेत्र में कई आविष्कार किए और दुनियाँ में प्रसिद्ध हो गये।

लेकिन इंगलेंड का मौसम और खान-पान उन्हें पसंद नहीं आया। यदपि वे इंगलेंड मे अपने स्वास्थ पर ज्यादा ध्यान देते थे। यहाँ तक की वे अपना भोजन खुद बनाकर खाते थे। फिर भी वहाँ उनका स्वस्थ धीर-धीरे गिरने लगा।

डाक्टरों ने जाँच मे पाया की उन्हें तपेदिक (T. B. ) अर्थात क्षयरोग की बीमारी हो गयी है। इस कारण दिन-प्रतिदिन उनका स्वास्थ खराव हो रहा है। सन 1917 ईस्वी के दौरन T. B. (तपेदिक ) को एक लाइलाज बीमारी समझा जाता था।

उस बक्त दुनियाँ में इस बीमारी का कोई कारगर इलाज नहीं था। इस प्रकार अपने गिरते स्वस्थ के कारण उन्होंने स्वदेश आगमन हो का मन बना लिया। फलतः सन 1919 ईस्वी में अपने देश भारत वापस आ गये।

लेकिन भारत आकर भी उनके स्वस्थ में कोई सुधार नहीं हुआ और लगातार उनका स्वास्थ्य गिरता चला गया। इस प्रकार भारत के इस महान गणितज्ञ ने मात्र 33 साल की उम्र में इस दुनियाँ को अलविदा कह दिया।

श्रीनिवास रामानुजन के जीवन पर बनी फिल्म

रामानुजन के जीवन पर आधारित सन 1914 में ‘रामानुजन का जीवन‘ नामक तमिल फिल्म बनाई गई थी। उसके बाद सन 2015 में भी द मैन हू न्यू इनफिनिटी (“The Man Who Knew Infinity ”) नाम से एक और फिल्म बनी।

अमेरिका के सिलिकॉन वैली में इस फिल्म को खूब पसंद किया गया। महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजम के जीवन पर बनी हॉलीवुड की फिल्म “The Man Who Knew Infinity ” का ट्रेलर देखने के लिए क्लिक करें।

महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजम के जीवन पर बनी हॉलीवुड की फिल्म

उपसंहार

भारत के महान गणितज्ञ रामानुजन का जीवन परिचय से हमने पाया की वे कितने विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। कहते हैं की प्रतिभा किसी की उम्र का मोहताज नहीं होती। भले ही वे मात्र 33 साल इस दुनियाँ में रहे।

लेकिन अपनी अल्पायु में उन्होंने जो गणित के क्षेत्र में अहम सेवा की उसे पूरी दुनियाँ हमेशा याद रखेगी। उनकी याद में भारत के तमिलनाडु राज्य में रामानुजन इंस्टिट्यूट की स्थापना की गयी है जो मद्रास यूनिवर्सिटी के तत्वाधान में काम कर रही है।

रामानुजन की जीवन शैली हमेशा आने वाली पीढ़ी को प्रभावित करती रहेगी। अगर आप short essay on Srinivasan Ramanujan हिंदी में पढ़ना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए उपयोगी हो सकता है।

इन्हें भी पढ़ें –

संदर्भित – श्री निवास रामानुजन् – विकिपीडिया

श्रीनिवास रामानुजन किस लिए प्रसिद्ध है?

संख्या सिद्धांत के प्रतिपादन के लिए श्री निवास रामानुजन प्रसिद्ध हैं।

श्रीनिवास रामानुजन का जन्म कब हुआ था ?

भारत के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर सन 1887 ईस्वी में वर्तमान चेन्नई के पास हुआ था।

श्रीनिवास रामानुजन की पत्नी का क्या नाम था?

सोशल मीडिया के अनुसार उनकी पत्नी का नाम जानकी रामानुजन (Janakiammal Ramanujan) था।

आपको श्रीनिवास रामानुजन का जीवन परिचय ( Srinivasa ramanujan ka jivan parichay ) से जुड़ी संकलित जानकारी जरूर अच्छी लगी होगी, अपने कमेंट्स से अवगत करायें।

  • प्रकाशन तिथि – 15-12-2020
  • अंतिम संशोधन तिथि – 27-11-12
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